Tuesday 15 January 2013

mahakubh2013 special


प्रसार भारती
आकाच्चवाणी,इलाहाबाद
दिनांक :१५.०१.२०१३
प्रसारण-: आठ बजकर पचपन मिनट (प्रातः)
कुम्भ मेले के पहले प्रमुख स्नान पर्व मकर संक्रान्ति के अवसर पर संगम तट पर शुरू हुआ स्नान का सिलसिला आज ज्यादा ठण्ड होने के बावजूद सुबह से ही लगातार जारी हैं। कल पहले दिन कुम्भ मेला प्रच्चासन ने दावा किया है कि बयासी लाख से भी ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम और गंगा,यमुना के विभिन्न घाटों पर स्नान पुण्य अर्जित किया है। हालांकि प्रच्चासन को उम्मीद थी कि एक करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगायेंगें। हमारे इलाहाबाद संवाददाता ने खबर दी है कि मेला क्षेत्र में
आज श्रद्धालु सुबह चार बजे से ही घाटों पर जमा होने शुरू होगये और तब से डुबकी लगाने का सिलसिला जारी है।देर रात भी पुलिस के आला अधिकारी मेंला क्षेत्र में इंतजाम का जायजा लेते देखे गये। इलाहाबाद के मण्डल आयुक्त और मेले के नोडल अधिकारी देवेच्च चतुर्वेदी ने कहा है कि अभी तक मेला क्षेत्र में शान्ति पूर्वक स्नान कार्य सम्पन्न हुआ है और मेला क्षेत्र में कहीं से किसी अप्रिय घटना के समाचार नही है। 

कुम्भn मेले का मुख्य आकर्षण शाही स्नान सुबह पांच बजकर पन्द्रह मिनट पर अखाड़ों के साधु-सन्तों, महामण्डलेच्च्वरों और नागा साधुओं के संगम में डुबकी लगाने हुआ।सबसे पहले महानिर्वाणीं और अटल अखाड़ा के साधु-सन्यासियों और महामण्डलेच्च्वर अपने - अपने अखाड़ों से सज-धज कर गंतब्य घाट पर पहुंचे और फिर अपने लिये निर्धारित समय में डुबकी लगाई।महानिर्वाणीं और अटल अखाड़ों के बाद निरंजनी और आनन्द अखाड़ों के साधु -सन्यासियों, महामण्डलेच्च्वरों और नागा साधुओं की बारी आई। इनके शाही स्नान के पूरा होने के बाद बैरागियों का नंबर आया। जिसमें सबसे आगें निर्वाणी अनी ,बीच में दिगम्बर और फिर निर्मोही अनी के साधु -सन्तों ने स्नान पूरा किया।फिर नया उदासीन अखाड़ा के साधु -सन्तो ने संगम में डुबकी लगाई और शाम पांच बजे शाही स्नान पर्व का सिलसिला पूरा हो गया।

संगम में स्नान पुण्य अर्जित करने के बाद श्रद्धालु विभिन्न धार्मिक स्थलों पर पूजन -अर्चन करते देखे गये । संगम स्थित हनुमान मन्दिर, किला के भीतर पातालपुरी, दारागंजल में नागवासुकी मन्दिर और अलोपीबाग में देवी मन्दिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिये व्यापक पुलिस बल तैनात किया गया था। घर वापसी के लिये लोगो ने लौटने में जल्दी नही दिखाई जिसकी वजह से दोपहर तक रेलवे स्टेच्चन और बस अड्डे खाली रहे । शाम होते -होते इनकी भीड़ रेलवे स्टेच्चनो और बस अड्डे पर जुटनी शुरू हो गई ।स्नान के बाद घर वापसी कर रहे लोगो की भीड़ को देखते हुये रेलवे और सड़क परिवहन निगम ने काफी संख्या में बसों का परिचालन किया। देर रात तक इलाहाबाद,नैनी, प्रयाग, और रामबाग रेलवे स्टेच्चनो से दिच्चाओं के लिये उन्नीस विच्चेष ट्ेने रवाना हुई। साथ ही सिविल लाइन्स, झूंसी, जीरो रोड और नेैनी के दोनो अस्थाई बस अड्डों से करीब सात सौ पचास बसों का परिचालन किया गया। सार्वजनिक वाहनों के न चलने से लोगो को मेला क्षेत्र से रेलवे और बस स्टेच्चनो तक पहुचने में काफी असुविधा हुई । उम्रदराज महिला पुरूष सर्वाधिक परेच्चान दिखें ।

भारतीय रिजर्व बैंक ने कुम्भ मेला क्षेत्र में लोगो के के उद्देच्च्य से एक च्चिविर स्थापित किया है। बैंक के क्षेत्रीय निदेच्चक के. आर. दास ने बताया है कि त्रिवेणी रोड स्थित इस च्चिविर से लोगो को रिजर्व बैंक के कामकाज के अलावा वाणिज्यिक और आधारभूत बैकिंग सेवाओ सहित बैकिंग से जुड़ी गतिविधियों के बारे में जानकारी दी जायेगी। उन्होने बताया है कि लोगो को असली और नकली नोट पहचानने के बारे में सहज सरल तौर तरीको की भी जानकारी च्चिविर में दी जायेगी। क्षेत्रीय निदेच्चक का यह भी कहना है कि बैकिंग लोकपाल विभिन्न कम्पनियों के साथ वित्तीय सम्बन्ध बनाने और वाणिज्यिक बैंको द्वारा च्चिकायतों को दूर न किये जाने पर की जाने वाली कार्रवाई के बारे में भी लोगो को

कुम्भ मेले के पहले स्नान पर्व पर जहां अखाड़ों का शानदार शाही स्नान हुआ वहीं आदि शंकराचार्य द्वारा स्थपित चारो पीठों में से कोई भी शंकराचार्य इस अवसर पर मेला क्षेत्र में उपस्थित नही थे। द्वारिकापीठ और ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वतीं अपनी मांगों को लेकर मेले का बहिष्कार कर मध्यप्रदेच्च स्थित अपने आश्रम में जा चुके है वहीं मेले में नियमित रूप से आने वाले पुरी के शंकराचार्य स्वामी निच्च्चलानन्द सरस्वतीं अभी तक नही आये है। मेला क्षेत्र मे प्रवास कर रहे दण्डी सन्यासियों ने मेला प्रच्चासन पर भेदभाव पूर्ण व्यवहार का आरोप लगाते हुये संगम तट पर आचमन कर अपने च्चिविरों को लौट गये। कई अन्य साधु - सन्यासियों ने भी गंगा में प्रदूषण को रोकने में सरकार पर विफलता का आरोप लगाते हुये सामूहिक स्नान में भागींदारी नही की।


इलाहाबाद
(विशेष कुंभ एफएम चैनल)
अवधि-5 मिनट,
दिनांक-14-01-2013
कुंभ मेले का पहला प्रमुख स्नान पर्व मकर संक्रांति के अवसर पर संगम तट पर स्नान का सिलसिला अभी भी जारी है। कुंभ मेला प्रशासन ने दावा किया है कि लगभग एक करोड़ श्रद्धालु संगम और गंगा, यमुना के विभिन्न घाटों पर स्नान पुण्य अर्जित कर चुके हैं और स्नान घाटों पर बड़ी संख्या में अभी भी श्रद्धालु लगातार पहुंच रहे हैं। इलाहाबाद के मंडल आयुक्त और मेले के नोडल अधिकारी देवेश चतुर्वेदी ने आज शाम पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि अभी तक मेला क्षेत्र में शांतिपूर्वक स्नान कार्य संपन्न हुआ है... और मेला क्षेत्र में कहीं से किसी अप्रिय घटना के समाचार नही हैं। उन्होंने दावा किया है कि स्नान
पर्व का ये सिलसिला कल शाम तक जारी रहेगा क्योंकि अब भी काफी श्रद्धालु घाटों पर पहुंच रहे हैं और अपनी बारी के इंतजार में हैं। हमारे इलाहाबाद संवाददाता ने खबर दी है कि मेला क्षेत्र में श्रद्धालू देर रात से ही घाटों पर जमा होने शुरु हो गए थे और ये क्रम अभी भी जारी है। कुंभ मेले का मुख्य आकर्षण शाही स्नान सुबह पांच बजकर 15 मिनट पर अखाड़ों के साधु-संतो, महामंडलेश्वरों और नागा साधुओं के संगम में डुबकी लगाने के साथ शुरू हुआ। सबसे पहले महानिर्वाणी और अटल अखाड़ा के सांधु-सन्यासियों और महामंडलेश्वर अपने अपने अखाड़े से सज धज कर गंतव्य घाट पर पहुंचे और फिर अपने लिए निर्धारित समय में डुबकी लगाई। महानिर्वाणी और अटल अखाड़ों के बाद निरंजनी, और आनंद अखाड़ों के साधु-सन्यासियों, माहमंडलेश्वरों और नागा साधुओं की बारी आई। इनके शाही स्नान पूरा होने के बाद बैरागियों का नंबर आया जिसमें सबसे आगे निर्वाणी अनी,
बीच में दिगंबर और फिर नर्मोही अनी के साधु-सन्तों ने स्नान पूरा किया। फिर नया उदासीन अखाड़ा और बड़ा उदासीन अखाड़ा के साधु-सन्तों ने गंतब्य घाट पर डुबकी लगाई। सबसे आखिर में निर्मल अखाड़े के साधु-संतों ने संगम में डुबकी लगाई और शाम पांच बचे शाही स्नान पर्व का सिलसिला पूरा हो गया। 

कुंभ मेले के पहले स्नान पर्व पर कई महत्वपूर्ण साधु-संतों ने भी संगम में डुबकी लगाकर स्नान पुण्य अर्जित किया। इनमें जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर, स्वामी अवधेशानंद, द्वारिकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद के घोषित उत्तराधिकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, जूना अखाड़े के ही महामंडलेश्वर पायलट बाबा, श्री पंचदशनाम पंचाग्नि अखाड़े के कैलाशआनंद जी शामिल हैं। इनके अलावा सन्यासी, बैरागी और उदासीन अखाड़ों के मेले में उपस्थित लगभग सभी आचार्य और महामंडलेश्वरों ने शाही स्नान में अपनी भीगीदारी दी है। हमारे संवाददाता ने बताया है कि कुंभ मेले के इतिहास में यह लगातार तीसरा कुंभ स्नान पर्व है जिसमें शाही स्नान को लेकर विवाद नहीं 

यातायात और सुरक्षा इंतजाम मेला क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर कोई लापरवाही न हो और तीर्थयात्रियों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़ा इसके लिए प्रशासन ने अपनी तरफ से मुक्मल तैयारी की थी। रविवार शाम से ही मेला क्षेत्र में वाहनों
की आवाजाही पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया था... जो मंगलवार तक जारी रहेगा। अगला प्रमुख स्नान पर्व 27 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन होगा। इसी दिन से लगभग एक माह तक चलने वाले कल्पवास की भी शुरुआत हो जाएगी।कल्पवास के लिए श्रद्धालुओं के आने का क्रम भी धीरे-धीरे शुरू हो रहा है। पौष पूर्णिमा के दिन अखाड़ों का शाही स्नान नहीं होता लेकिन विभिन्न संप्रदायों के साधु-संत संगम में स्नान पुण्य अर्जित करने के लिए घाटों तक पहुंचते हैं। मेला प्रशासन का कहना है कि आज के स्नान पर्व के अवसर पर सामने आई कतिपय खामियों को अगले स्नान पर्व पर दूर कर लिया जाएगा। मेला प्रशासन का ये भी कहना है कि यह कोशिश की जाएगी कि श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो और व्यवस्था में लगे विभिन्न विभागों के बीच और प्रभावी तालमेल बना रहे। मेला क्षेत्र में नागरिक और पुलिस प्रशासन के वरिष्ठतम अधिकारी लोगों से व्यवस्था
को लेकर प्रतिक्रिया और सुधार संबंधी सुझाव लेते देखे गए। प्रदेश सरकार ने कुंभ के दौरान नालों की सफाई के लिए इलाहाबाद नगर निगम को दो करोड़ 47 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत की है। इसर राशि से इलाहाबाद में नालों की सफाई के लिए मशीनें खरीदी जायेंगी। प्रदेश के नगर विकास मंत्री मुहम्मद आजम खां ने बताया कि कुंभ के दौरान मेला क्षेत्र और इलाहाबाद के
अन्य स्थानों पर नालों को साफ सुथरा रखने और बिना रुकावट के जल निकासी सुनिश्चित करने के लिए ये धनराशि स्वीकृत की गई है।

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